भगवान श्रीकृष्णअपने भक्त के लिए स्वयं देने आए थे गवाही! भगवान् और भक्त की एक सच्ची घटना 

भगवान श्रीकृष्णअपने भक्त के लिए  स्वयं देने आए थे गवाही! भगवान् और भक्त की एक सच्ची घटना

 एक मंदिर से जुड़ी है ये कथा

नमस्कार दोस्तों factdunia.in में आपका स्वागत है- ये  कथा हमारे देश के  एक मंदिर से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार, एक बार दो ब्राम्हण वृंदावन की यात्रा पर निकले. उनमें से एक वृद्ध था और दूसरा जवान था. मार्ग लम्बा और कठिन था जिस वजह से उन दोनों यात्रियों को यात्रा के दौरान कई कष्टों का सामना करना पड़ा. उस समय आज की तरह रेलगाड़ियों और बसों की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. यात्रा के दौरान युवा ब्राम्हण ने वृद्ध व्यक्ति की खूब मदद की.

जिसकी वजह से वृंदावन पहुंच कर उस वृद्ध ब्राम्हण ने कृतज्ञता जताते हुए कहा कि हे युवक! तुमने मेरी खूब सेवा की है. मैं तुम्हारा अत्यंत कृतज्ञ हूं. इस सेवा के बदले मैं तुम्हे पुरस्कार देना चाहता हूं. पर उस युवा ब्राम्हण ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया जिसके बाद वृद्ध व्यक्ति हठ करने लगा. फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने अपनी जवान पुत्री का विवाह उस ब्राम्हण युवक से करने का वचन दिया.

ब्राम्हण युवक ने वृद्ध व्यक्ति को समझाया कि ऐसा नहीं हो सकता क्यूंकि आप बहुत अमीर हैं और मैं तो बहुत गरीब ब्राम्हण हूं. फिर भी वृद्ध व्यक्ति अपनी हठ पर अड़ा रहा और फिर कुछ दिन तक वृन्दावन में रहने के बाद दोनों घर लौट आए.

वृद्ध व्यक्ति ने अपनी बेटी का विवाह ब्राह्मण युवक से तय कर दिया factdunia.in 

वृद्ध व्यक्ति ने सारी बातें घर पर आकर बताईं कि उसने अपनी बेटी का विवाह एक ब्राम्हण से तय कर दिया है. पर पत्नी को ये सब मंजूर नहीं था. उस वृद्ध पुरुष की पत्नी ने कहा कि अगर आप मेरी पुत्री का विवाह उस  युवक से करेंगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगी. कुछ समय व्यतीत होने के बाद ब्राम्हण युवक को चिंता होने लगी कि वृद्ध अपने वचन को पूरा करेगा या नहीं.

फिर ब्राम्हण युवक से रहा न गया और उसने वृद्ध ब्राम्हण के पास जाकर उसको अपना वचन याद करवाया. वो वृद्ध पुरुष मौन रहा और उसे डर था कि वो अपनी बेटी का विवाह इससे करवाता है तो उसकी पत्नी अपनी जान दे देगी. वृद्ध पुरुष ने कोई उत्तर नहीं दिया तब ब्राम्हण युवक ने उसका दिया हुआ वचन याद करवाने लगा. तभी वृद्ध ब्राम्हण के बेटे ने उस ब्राम्हण युवक को ये कह कर घर से निकल दिया कि तुम झूठ बोल रहे हो. तुम मेरे पिता को लूटने के लिए आए हो. फिर ब्राम्हण युवक ने कहा कि ये सारे वचन तुम्हारे पिताजी ने शिवगृह के सामने दिए थे.

तब वृद्ध व्यक्ति का ज्येष्ठ पुत्र, जो भगवान को नहीं मानता था युवक को कहने लगा कि अगर तुम कहते हो कि भगवान इस बात के साक्षी हैं तो यही सही. अगर भगवान प्रकट होकर ये साक्ष्य दें कि मेरे पिता ने वचन दिया है तो तुम मेरी बहन के साथ विवाह कर सकते हो. तब युवक ने कहा हां, मैं भगवान श्री कृष्ण से कहूंगा कि वो साक्षी के रूप में आएं. उसे भगवान श्री कृष्ण पर पूरा विश्वास था कि भगवान श्री कृष्ण उसके लिए वृन्दावन से जरूर आएंगे.

श्रीकृष्ण ने दी भक्त के लिए स्वयं गवाही factdunia.in 

फिर अचानक वृन्दावन की मूर्ति से आवाज सुनाई दी कि मैं तुम्हारे साथ कैसे चल सकता हूं मैं तो मात्र एक मूर्ति हूं. तब उस युवक ने कहा कि जब मूर्ति बात कर सकती है तो साथ भी चल सकती है. तब भगवान श्री कृष्ण ने युवक के समक्ष एक शर्त रख दी कि तुम मुझे किसी भी दिशा में ले जाना मगर तुम पीछे पलट कर नहीं देखोगे. तुम सिर्फ मेरे नूपुरों की ध्वनि से ये जान सकोगे कि मैं तुम्हारे पीछे आ रहा हूं.

युवक ने उनकी बात मान ली और वो वृन्दावन चल पड़े. जिस नगर में जाना था वहां पहुंचने के बाद युवक को नूपुरों की ध्वनि आनी बंद हो गई. युवक ने धैर्य न धर कर पीछे मुड़कर देख लिया. मूर्ति वहीं पर स्थिर खड़ी हुई थी. अब मूर्ति आगे नहीं चल सकती थी क्यूंकि युवक ने पीछे मुड़कर देख लिया था.

वो युवक दौड़कर नगर पहुंचा. सब लोगों को इकट्ठा करके बोलने लगा कि देखो भगवान श्री कृष्ण साक्षी रूप में आए हैं. लोग स्तब्ध थे कि इतनी बड़ी मूर्ति इतनी दूरी से चलकर कैसे आई. फिर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति ने सबके सामने ब्राम्हण युवक की गवाही दी. उसके बाद वृद्ध ब्राम्हण की पुत्री के साथ उसका विवाह संपन्न हुआ. विवाह के बाद उस युवक ब्राम्हण ने श्री वृगृह के सम्मान में उस स्थल पर एक मंदिर बनवा दिया और आज भी लोग इस मंदिर में साक्षात् श्री गोपाल की पूजा करते हैं.

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