वो जगह जहां से धरती पर आई थी कयामत, 12 किलोमीटर बड़ा उल्का पिंड टकराने से हुआ था महाविस्फोट

नमस्कार दोस्तों Factdunia.in

वो जगह जहां से धरती पर आई थी कयामत,  बहुत  बड़े  उल्का पिंड टकराने से हुआ था महाविस्फोट

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एक समय  था, जब धरती पर डायनासोर का राज था। बहुत ही डरावने  मोटे-लंबे, हट्टे-कट्टे, उड़ने वाले, दौड़ने वाले, तमाम तरह के डायनासोर धरती पर आबाद थे। पर आज से करीब साढ़े छह करोड़ साल पहले ऐसी तबाही आई कि डायनासोर ही नहीं, धरती पर रह रहे 80 फीसदी जीव तबाह हो गए ।

करीब 12 किलोमीटर में फैला एक उल्कापिंड धरती से आ टकराया। इस ब्रह्मांडीय बदलाव ने धरती को झकझोर डाला था। बरसों से वैज्ञानिक उस ठिकाने की तलाश में थे, जहां पर ये उल्कापिंड टकराया था। उन्हें वो जगह मिल नहीं पा रही थी।

1980 के दशक में अमरीकी पुरातत्वविदों का एक समूह, अंतरिक्ष से ली गई कुछ तस्वीरों की बारीकी से पड़ताल कर रहा था। इनमें मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप की भी तस्वीरें थीं। युकाटन के करीब ही समुद्र के भीतर एक गोलाकार जगह थी।

यूं तो सेनोट्स, यानी गोलाकार सिंक होल जैसी चीजें युकाटन की पहचान हैं। यहां सैलानियों को लुभाने के लिए बनने वाले ब्रोशर्स में भी सेनोट्स का जिक्र खूब किया जाता है। सेनोट्स, युकाटान के समतल मैदानी इलाकों में दूर-दूर तक फैले हुए हैं।

लेकिन, जब आप इन्हें अंतरिक्ष से देखें, तो ये गुच्छे आधे गोले के तौर पर नजर आते हैं। ऐसा लगता है कि कोई गोला परकार से गोला बना रहा था, और जमीन पर आधी लकीर खींचने के बाद जमीन ही खत्म हो गई।

अमरीकी पुरातत्वविदों ने अंतरिक्ष से ली गई इन तस्वीरों को जोड़कर देखा तो युकाटन सूबे की राजधानी मेरिडा, समुद्री बंदरगाह सिसाल और प्रोग्रेसो, एक गोलाकार दायरे में बंधे से मालूम हुए। कभी ये इलाका माया सभ्यता का केंद्र हुआ करता था। अमरीकी मूल निवासी माया के लोग इन सेनोट्स पर पीने के पानी के लिए निर्भर थे।

इस कांफ्रेंस में एड्रियाना ओकैम्पो भी मौजूद थीं। एड्रियाना ने उस वक्त नासा में नौकरी शुरू की थी। वो एक भू वैज्ञानिक हैं। अब 63 बरस की हो चुकीं एड्रियाना बताती हैं कि उन्हें वो अर्धगोलाकार दायरे में फैले सिंक होल देखकर लगा कि उन्हें अपनी मंजिल मिल गई है।

अब एड्रियाना नासा के लूसी मिशन से जुड़ी हैं जिसके तहत बृहस्पति ग्रह पर 2021 तक यान भेजा जाना है। उन्हें तस्वीरें देखते ही लग गया था कि ये वो जगह हो सकती है जहां पर कभी उल्कापिंड टकराया था। मगर बिना सबूत ये बात वो पक्के तौर पर नहीं कह सकती थीं।

सो, उन्होंने बाकी वैज्ञानिकों से पूछा कि क्या उन्हें ये खयाल आया है? एड्रियाना हैरानी से कहती है कि ‘वैज्ञानिकों को ये समझ ही नहीं आया कि मैं उनसे क्या बात पूछ रही हूं।’ लेकिन उन तस्वीरों से एड्रियाना ओकैम्पो का सामना होना, एक विशाल मिशन की शुरुआत थी, जिसमें ये पता लगाया गया कि युकाटन प्रायद्वीप के किनारे-किनारे स्थित वो सिंक होल या सेन्टोस असल में वो ठिकाने हैं, जहां पर साढ़े छह करोड़ साल पहले धरती से उल्कापिंड टकराया था। इस महाविस्फोट से ऐसी कयामत आई थी कि पूछिए मत! चट्टानें पिघल गई थीं।

1990 से ही अमरीका, यूरोप और एशिया के वैज्ञानिक, इस पहेली की कड़ियां जोड़ रहे थे। अब वो इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि 6।5 करोड़ साल पहले जो 12 किलोमीटर चौड़ा उल्कापिंड धरती से टकराया था, उससे 30 किलोमीटर गहरा गड्ढा धरती पर बन गया था।

ठीक वैसे ही, जैसे किसी तालाब में पत्थर मारो तो पानी दब जाता है, फैल जाता है। इस टक्कर से पिघली चट्टानों से माउंट एवरेस्ट से भी ऊंचा पर्वत बन गया था, जो बाद में ढह गया। प्रलंयकारी इस घटना से दुनिया पूरी तरह से बदल गई थी।

करीब साल भर तक धुएं का ग़ुबार धरती पर मंडराता रहा था। सूरज की किरणें धरती पर आनी बंद हो गई थीं। पूरे साल भर तक धरती पर रात रही थी। इससे धरती का तापमान जीरो से भी कई डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया था। नतीजा ये हुआ था कि धरती के 75 फीसद जीव-जंतु नष्ट हो गए। कमोबेश सारे डायनासोर उसी वजह से खत्म हो गए थे।

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