Famous Temple: यहां अपने भक्त के लिए खुद गवाही देने चले आए थे बांके बिहारी

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 यहां अपने भक्त के लिए खुद गवाही देने चले आए थे बांके बिहारी-

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में सब की इच्छाएं पूरी होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि बांके बिहारी खुद अपने भक्त के लिए गवाही देने के लिए चले आए थे।

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में सब की इच्छाएं पूरी होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि बांके बिहारी खुद अपने भक्त के लिए गवाही देने के लिए चले आए थे। यूपी में स्थित मथुरा को ‘कृष्ण की नगरी’ के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस नगरी के बारे में कहा जाता है कि यहां कहीं भी एक पत्थर उछालों तो वो किसी ना किसी मंदिर में ही गिरेगा इसलिए तो इस नगरी को ‘मंदिरों की नगरी’ भी कहा जाता है। यहां एक नहीं बल्कि कई ऐसे मंदिर हैं जहां दर्शन करने के लिए हजारों लोगों की लाइन लगी रहती है। साथ ही यहां के कई पौराणिक किस्से हैं और उन किस्सों में छिपी लोगों की आस्था भी अटूट है शायद इसलिए यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। इन सब मंदिरों में एक मंदिर बहुत ज्यादा खास है और इस मंदिर का नाम है ‘पागल बाबा मंदिर’। आपको बता दें कि इस मंदिर का ‘पागल बाबा’ द्वारा कराया गया था और इस मंदिर को मॉडर्न वास्तुकला का उदाहरण भी माना जाता है।

इस मंदिर में दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों का तांता लगा रहता है, खासतौर पर पूर्णिमा के अवसर पर इस मंदिर में हजारो की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। ये बहुत प्रसिद्ध मंदिर है।

क्या है इस मंदिर की कहानी ?

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इस मंदिर के पीछे की कहानी कुछ यूं है कि पौराणिक कथायों की माने तो बांके बिहारी का एक गरीब ब्राह्मण बहुत बड़ा भक्त था। एक बार उसने एक महाजन से कुछ रुपए उधार लिए थे और हर महीने उसे थोड़ा-थोड़ा करके चुकता रहता था। जब लास्ट किस्त रह गई तब महाजन ने उसे अदालती नोटिस भेज दिया कि अभी तक उसने उधार चुकता नहीं किया है इसलिए पूरी रकम ब्याज वापस करे।

ऐसे में ब्राह्मण बहुत परेशान हो गया था। उसने महाजन के पास जाकर बहुत सफाई दी लेकिन महाजन अपने दावे से टस से मस नहीं हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।

कोर्ट में भी ब्राह्मण ने जज से यही कहा कि उसने सारा पैसा चुका दिया है और महाजन झूठ बोल रहा है। जज ने पूछा कोई गवाह है जिसके सामने तुम महाजन को पैसा देते थे। थोड़ी देर रुक कर और सोच कर ब्राह्मण ने कहा, “मेरे हिस्से की गवाही बांके बिहारी देंगे।“

ऐसे में अदालत ने गवाह का पता पूछा तो ब्राह्मण ने बताया, “बांके बिहारी वल्द वासुदेव, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन।“ ऐसे में इस पते पर सम्मन जारी कर दिया गया। ब्राह्मण ने सम्मन को मूर्ति के सामने रखकर कहा, ‘‘बांके बिहारी आपको गवाही देने कचहरी आना है।”

इसके बाद यह हुआ कि गवाही के दिन सचमुच एक बूढ़ा आदमी जज के सामने खड़ा होकर बता गया कि पैसे देते समय मैं साथ होता था और साथ ही यह भी बता गया कि कब-कब रकम वापस की गई थी।

जब जज ने सेठ का बहीखाता देखा तो गवाही सच निकली। रकम दर्ज थी और नाम फर्जी डाला गया था। जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार दे दिया। महाजन के मन में उथल-पुथल मच गई और उसने ब्राह्मण से पूछा कि वो बूढ़ा आदमी कौंन था।

ब्राह्मण ने बताया कि वह तो सर्वत्र रहता है, गरीबों की मदद के लिए अपने आप आता है। इसके बाद जज साहब ब्राह्मण से बोले की यह आदमी कौन थे जो गवाही देकर चले गए? ब्राह्मण बोला “अरे जज साहब यही तो मेरा ठाकुर था। जो भक्त की दुविधा देख ना सका और भरोसे की लाज बचाने आ गया।“

इतना सुनने के बाद जज ब्राह्मण के चरणों में लेट गए और बांके बिहारी का पता पूछा। इस सवाल के जवाब में ब्राह्मण ने यही कहा, “मेरा ठाकुर तो सर्वत्र है वो तो हर जगह है।“ इसके बाद जज अपना घरबार और सारा काम-धंधा सब छोड़ ठाकुर को ढूंढने के लिए निकल गया और फकीर बन गया। जब वो बहुत साल बाद वृंदावन लौट कर आया तो लोग उसे पागल बाबा के नाम से जानने लगे।

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