वृन्दावन के प्रसिद्ध मंदिरों के रहस्य

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वृन्दावन के प्रसिद्ध मंदिरों के रहस्य ………………………..

चलिए जानते है  भगवान श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में 

वृंदावन, उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले में स्थित एक पवित्र नगरी है, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के कारण विश्व प्रसिद्ध है। यह नगर वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और भक्तों के लिए आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। यहां सैकड़ों छोटे-बड़े मंदिर स्थित हैं, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की आराधना की जाती है। इस लेख में हम वृंदावन के प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिरों का विस्तार से वर्णन करेंगे।

1. बांके बिहारी मंदिर

इतिहास और महत्ता:

बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख मंदिर माना जाता है। यह मंदिर स्वामी हरिदास जी द्वारा 1862 में स्थापित किया गया था। स्वामी हरिदास जी को भगवान कृष्ण के महान भक्तों में गिना जाता है और वे ही तानसेन के गुरु भी थे। कहा जाता है कि स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं श्रीकृष्ण और राधा रानी एक मूर्ति के रूप में प्रकट हुए जिसे ‘ठाकुर जी’ कहा गया। बिहारी जी के इस मंदिर में भक्तों की हमेसा भीड़ लगी रहती है

विशेषताएं:

मंदिर में बांके बिहारी जी की मूर्ति त्रिभंग मुद्रा में विराजमान है।

यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं।

इस मंदिर में आरती दिन में केवल एक बार होती है और मूर्ति को झूला झुलाने की परंपरा भी है।

2. प्रेम मंदिर

इतिहास और निर्माण:

प्रेम मंदिर की स्थापना जगद्गुरु कृपालु जी महाराज द्वारा 2001 में की गई थी और यह मंदिर 2012 में जनता के लिए खोला गया। यह आधुनिक शैली में बना एक भव्य मंदिर है जो संगमरमर से निर्मित है।

विशेषताएं:

रात को इस मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

मंदिर की दीवारों पर राधा-कृष्ण की लीलाओं को सुंदर नक्काशी के माध्यम से दर्शाया गया है।

हर शाम यहां भव्य लाइट और म्यूज़िकल फाउंटेन शो होता है। मंदिर  प्रवेश करने  का समय निर्धारित है इस मंदिर की भव्यता के  आगे ताजमहल भी फेल है

3. इस्कॉन मंदिर (अंग्रेजों का मंदिर)

इतिहास:

यह मंदिर 1975 में अ. भ. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित किया गया था। यह श्रीकृष्ण चेतना आंदोलन का हिस्सा है जो वैश्विक स्तर पर फैला हुआ है।

विशेषताएं:

मंदिर में राधा श्यामसुंदर, गौर-निताई और जगन्नाथ जी की भव्य मूर्तियाँ हैं।

यहां भक्ति योग, गीता पाठ, कीर्तन, और सत्संग जैसी गतिविधियाँ नियमित रूप से होती हैं।

विदेशी भक्तों की यहां बड़ी संख्या में उपस्थिति रहती है।

4. श्री रंगनाथजी मंदिर (रंगजी मंदिर)

इतिहास और विशेषताएं:

यह मंदिर 1851 में श्री रंगनाथ स्वामी के भक्त श्री रंगाचार्य द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है और इसकी वास्तुकला बहुत ही भव्य है। काफी बड़े जगह में ये मंदिर बना हुआ है

यह उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है जहाँ श्री रंगनाथ (विष्णु जी का रूप) की मूर्ति शेषनाग पर विराजमान है।

यहां प्रतिवर्ष ‘रथ यात्रा’ उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

5. शाहजी मंदिर

विशेषताएं:

यह मंदिर 1876 में लखनऊ के एक व्यापारी शाह कुंदन लाल द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर अपने विशिष्ट स्थापत्य और कलात्मक स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है।

6. मदन मोहन मंदिर

इतिहास:

यह वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है, जिसकी स्थापना श्री सनातन गोस्वामी ने 16वीं शताब्दी में की थी। यह मंदिर गोवर्धन पर्वत के निकट यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।

विशेषताएं:

यह मंदिर भगवान मदन मोहन (कृष्ण) को समर्पित है।

मंदिर की ऊँचाई और स्थान इसे विशेष बनाते हैं।

माना जाता है कि औरंगज़ेब के हमले के दौरान मूर्ति को जयपुर ले जाया गया था और आज भी वहां उसकी पूजा होती है।

7. गोविंद देव जी मंदिर

इतिहास:

यह मंदिर 1590 ई. में राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भी श्रीकृष्ण को समर्पित है और इसकी वास्तुकला अत्यंत भव्य है।

विशेषताएं:

इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है और यह एक समय में सात मंज़िला था।

मुग़ल आक्रमण के दौरान इसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

8. गोपेश्वर महादेव मंदिर

विशेषता:

हालाँकि वृंदावन श्रीकृष्ण की नगरी है, लेकिन यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान शिव ने रासलीला में भाग लेने के लिए गोपी का रूप धारण किया था, तब राधा रानी ने उन्हें ‘गोपेश्वर’ नाम दिया।

9. नीम करोरी बाबा का आश्रम

जानकारी:

हालांकि यह मंदिर की तरह नहीं है, परंतु यह स्थान भी अत्यंत पूजनीय है। बाबा नीम करौली महाराज को हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है और उनके भक्तों में कई विदेशी अनुयायी भी हैं।

10. श्री राधा वल्लभ मंदिर

विशेषताएं:

यह मंदिर राधा रानी को समर्पित है और यहां राधा जी की मूर्ति नहीं है, बल्कि उनके प्रतीक के रूप में एक मुकुट रखा गया है।

यह मंदिर रासिया संप्रदाय से जुड़ा हुआ है।

मंदिर की भक्ति पद्धति और कीर्तन शैली इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।

निष्कर्ष:

वृंदावन न केवल मंदिरों की नगरी है, बल्कि यह भक्ति, प्रेम, और अध्यात्म का जीवंत प्रतीक भी है। यहां का हर कोना राधा-कृष्ण की लीलाओं की गाथा सुनाता है। इन मंदिरों के दर्शन करने मात्र से भक्तों को दिव्य अनुभूति होती है और वे भक्ति भाव में लीन हो जाते हैं। अगर आप भी अध्यात्म में रुचि रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं, तो वृंदावन यात्रा अवश्य करें।

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