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मथुरा कृष्णा जन्म भूमि से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स
मथुरा, उत्तर प्रदेश में स्थित, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:
1. ऐतिहासिक महत्त्व
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मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है।
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यह प्राचीन सप्त पुरियों (सात पवित्र नगरों) में से एक है।
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महाभारत और रामायण में भी मथुरा का उल्लेख मिलता है।
2. जन्मभूमि मंदिर परिसर
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वर्तमान श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कई बार नष्ट और पुनर्निर्माण हुआ।
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मुगलों के शासनकाल में इसे ध्वस्त किया गया और औरंगज़ेब के समय यहाँ एक मस्जिद बनाई गई।
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वर्तमान मंदिर को 20वीं शताब्दी में पुनः निर्मित किया गया।
3. धार्मिक महत्त्व
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मथुरा को ‘ब्रज भूमि’ कहा जाता है और यह कृष्ण भक्ति का केंद्र है।
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जन्माष्टमी यहाँ बहुत भव्य रूप से मनाई जाती है।
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यह स्थान गोवर्धन पर्वत, वृंदावन, बरसाना और गोकुल जैसे अन्य तीर्थस्थलों के निकट स्थित है।
4. पुरातात्विक तथ्य
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यहाँ कई खुदाइयों में प्राचीन मंदिरों और सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जो मथुरा के प्राचीन गौरव को दर्शाते हैं।
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यह नगर 2,500 साल से अधिक पुराना माना जाता है और कुषाण, गुप्त और मौर्य काल से जुड़ा हुआ है।
5. पर्यटन और संस्कृति
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, विश्राम घाट, और कुसुम सरोवर प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
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होली और जन्माष्टमी के दौरान यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं।
मथुरा भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सनातन संस्कृति और भक्ति परंपरा से जुड़ा है
१. पौराणिक कथा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि
मथुरा की सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी हुई है।
कंस का अत्याचार और देवकी-वसुदेव की पीड़ा
कथाओं के अनुसार, मथुरा पर कंस नामक अत्याचारी राजा का शासन था। वह अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव से बहुत प्रेम करता था। लेकिन जब आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा, तो कंस ने भयभीत होकर देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया।
कंस ने देवकी के छह बच्चों को मार डाला, लेकिन सातवें पुत्र बलराम को योगमाया ने रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। फिर, जब आठवें पुत्र श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो वसुदेव ने उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद बाबा के घर पहुँचा दिया।
गोकुल से वृंदावन तक
मथुरा से गोकुल भेजे गए श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में कई चमत्कार किए और पूतना, शकटासुर, तृणावर्त जैसे असुरों का वध किया। बाद में, वे वृंदावन, नंदगांव और गोवर्धन क्षेत्र में गोप-गोपियों के संग लीला करने लगे। उन्होंने कालिया नाग का दमन किया और इंद्र के घमंड को चूर-चूर करते हुए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया।
कंस वध और मथुरा की मुक्ति
युवा होने पर, श्रीकृष्ण ने मथुरा लौटकर कंस का वध किया और अपने माता-पिता को मुक्त कराया। इसके बाद, उन्होंने अपने नाना उग्रसेन को मथुरा का राजा बनाया और मथुरा को अत्याचार से मुक्त किया।
२. ऐतिहासिक मथुरा
मथुरा केवल पौराणिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
मौर्य और शुंग वंश का शासन
मौर्य काल में यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था। सम्राट अशोक ने यहाँ बौद्ध स्तूपों का निर्माण कराया। शुंग वंश के समय में भी मथुरा का विशेष महत्व रहा।
कुषाण काल: कला और संस्कृति का उत्कर्ष
कुषाण सम्राट कनिष्क के शासनकाल में मथुरा कला का प्रमुख केंद्र बन गया। यहाँ बौद्ध और जैन मूर्तिकला की अद्भुत कृतियाँ निर्मित हुईं। मथुरा स्कूल ऑफ आर्ट भारतीय मूर्तिकला का प्रसिद्ध केंद्र बना।
गुप्त काल और हिंदू संस्कृति का पुनरुत्थान
गुप्त काल में मथुरा पुनः वैष्णव संस्कृति का प्रमुख केंद्र बना। अनेक मंदिरों का निर्माण हुआ और श्रीकृष्ण भक्ति की परंपरा और भी गहरी हो गई।
मध्यकाल और आधुनिक मथुरा
मध्यकाल में मथुरा पर कई आक्रमण हुए, विशेषकर मुगलों और तुर्कों द्वारा। औरंगज़ेब के शासनकाल में कई मंदिर ध्वस्त किए गए। हालाँकि, बाद में मराठों और राजपूतों के सहयोग से मथुरा में फिर से भक्ति और संस्कृति का पुनरुत्थान हुआ।
आज मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के रूप में विश्वभर के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है। यहाँ कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, विश्राम घाट, और गोवर्धन पर्वत जैसे पवित्र स्थल हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
निष्कर्ष
मथुरा केवल एक स्थान नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, भक्ति और संस्कृति का प्रतीक है। यह भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षी रहा है और हजारों वर्षों से भारतीय दर्शन के अभिलाषी रहे है