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2025-26 के केंद्रीय बजट के मुख्य पॉइंटस
– New Tax Regime में बड़ा बदलाव, 12.00लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं;
– स्टैंडर्ड डिडक्शन को 75000 रुपये ही रखा गया, वेतन भोगी के लिए 12.75 तक कोई टैक्स नही
– पिछले 4 साल का आईटी रिटर्न एकसाथ कर सकेंगे दाखिल
– अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल आएगा
– कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जुड़ी 36 दवाइयां पूरी तरह से ड्यूटी फ्री, टीवी-मोबाइल, दवाएं, भारत में बने कपड़े, चमड़े के सामान और इलेक्ट्रिक कार होंगी सस्ती
– MSME सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लोन 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़, स्टार्टअप के लिए लोन 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़, लोन देने के लिए कार्ड जारी होंगे
– TCS की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की गई
– सीनियर सिटीजन के लिए बड़ा ऐलान, टैक्स छूट दोगुनी, ब्याज पर छूट 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख की गई
– दो घर के मालिकों को भी टैक्स में राहत, रेंट पर टीडीएस की सीमा 2.4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये की गई
– ‘किसानों के लिए ‘प्रधानमंत्री धनधान्य योजना’ का ऐलान, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़कर 5 लाख हुई, बिहार में मखाना बोर्ड बनेगा
– राजकोषीय घाटा GDP का 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान; 12 महत्वपूर्ण खनिजों को बुनियादी सीमा शुल्क से छूट
– अगले 5 वर्षों में 75000 नई मेडिकल सीटें, AI सेंटर को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ की सहायता
– खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए 6 साल का मिशन, लेदर उद्योग स्कीम में 22 लाख नई नौकरी पैदा करने का लक्ष्य, भारत को टॉयज का ग्लोबल हब बनाएंगे
– IITs में टेक्नोलॉजिकल रिसर्च के लिए 10 हजार पीएम स्कॉलरशिप, अगले 5 वर्षों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब, सभी सरकारी स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी
– सभी जिला अस्पतालों में डेकेयर कैंसर सेंटर स्थापना होगी, जल जीवन मिशन का बजट आउटले 100 प्रतिशत कवरेज हासिल करने के लिए बढ़ाया गया
– 120 गंतव्यों को जोड़ने के लिए संशोधित उड़ान योजना शुरू होगी, 4 करोड़ अतिरिक्त यात्रियों को मदद मिलेगी
– इंश्योरेंस सेक्टर के लिए 100 एफडीआई की मंजूरी।
GST संशोधन – महत्वपूर्ण बदलाव
1. परिभाषाओं में बदलाव (Section 2)
पहले का नियम
– Input Service Distributor (ISD): इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) सिर्फ़ उन्हीं सेवाओं के लिए बांटा जाता था जो एक ही राज्य में थीं।
* – Local Authority: नगरपालिका और अन्य स्थानीय निकायों की परिभाषा स्पष्ट नहीं थी।
* – Unique Identification Marking: ट्रैकिंग और ट्रेसिंग (tracking & tracing) के लिए कोई अनिवार्य पहचान चिह्न नहीं था।
अब क्या बदलाव हुआ है?
* ✅ ISD अब अंतर-राज्यीय (inter-state) सप्लाई पर भी ITC बांट सकता है, जिसमें रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत होने वाले लेन-देन भी शामिल होंगे।
* ✅ Local Authority की परिभाषा स्पष्ट की गई कि इसमें ‘Municipal Fund’ और ‘Local Fund’ शामिल होंगे।
* ✅ ट्रैकिंग के लिए Unique Identification Marking अनिवार्य किया गया, जिससे नकली सामान और कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी।
2. वाउचर पर टैक्स (Section 12 और 13)
पहले का नियम
* – वाउचर के उपयोग पर ‘समय की आपूर्ति’ (Time of Supply) तय था, यानी टैक्स कब लगेगा, यह पहले से तय था।
अब क्या बदलाव हुआ है?
* ✅ अब वाउचर को न तो वस्तु माना जाएगा, न सेवा, इसलिए उनके इस्तेमाल पर कोई अलग टैक्स नहीं लगेगा।
3. इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) से जुड़े बदलाव (Section 17 और 20)
पहले का नियम
* – ITC क्लेम करते समय “Plant or Machinery” शब्द था, जिससे भ्रम की स्थिति थी।
* – ISD केवल उसी राज्य में ITC बांट सकता था।
अब क्या बदलाव हुआ है?
* ✅ “Plant or Machinery” को “Plant and Machinery” में बदला गया, जिससे स्पष्ट हो गया कि दोनों को अलग-अलग नहीं गिना जाएगा।
* ✅ ISD अब अन्य राज्यों में भी ITC बांट सकता है, जिससे व्यवसायों को फायदा होगा।
4. क्रेडिट नोट और आउटपुट टैक्स (Section 34)
पहले का नियम
– यदि सप्लायर ने क्रेडिट नोट जारी किया, तो उसे टैक्स में छूट तभी मिलती थी जब यह तय होता कि ग्राहक ने भी ITC वापस किया है।
अब क्या बदलाव हुआ है?
* ✅ अब सप्लायर तभी टैक्स में छूट ले सकता है, जब ग्राहक ने ITC क्लेम नहीं किया हो या वह ITC वापस कर चुका हो।
5. ITC स्टेटमेंट और रिटर्न फाइलिंग (Section 38 और 39)
पहले का नियम
– ITC स्टेटमेंट ‘auto-generated’ होता था और इसमें सीमित जानकारी होती थी।
* – रिटर्न भरने पर कोई विशेष शर्तें लागू नहीं थीं।
अब क्या बदलाव हुआ है?
✅ अब ITC स्टेटमेंट में और अधिक जानकारी जोड़ी जा सकेगी।
* ✅ रिटर्न दाखिल करने से पहले कुछ अतिरिक्त शर्तें पूरी करनी होंगी।
* अगर कोई टैक्स चोरी रोकने के लिए जरूरी पहचान चिह्न (Unique Identification Marking) नहीं लगाता है, तो उसे ₹1 लाख या 10% टैक्स जितना जुर्माना देना होगा।
* ✅ सरकार को कुछ खास सामानों की ट्रैकिंग के लिए नए नियम बनाने का अधिकार मिला।
8. SEZ और Free Trade Zones (Schedule III और Clause 129)
पहले का नियम
* – SEZ (Special Economic Zones) और Free Trade Warehousing Zones (FTWZ) में सप्लाई पर टैक्स लगता था।
अब क्या बदलाव हुआ है?
* ✅ अब SEZ और FTWZ में कुछ ट्रांजैक्शन को टैक्स-फ्री किया गया है और इसे जुलाई 1, 2017 से लागू माना जाएगा।
* ✅ यदि कोई टैक्स पहले से जमा हो गया है, तो उसका रिफंड नहीं मिलेगा।